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Sai Chalisa Shailendra Bharti, Anuradha Paudwal Mp3 song download

Sri Sai Sankirtanmala Shailendra Bharti, Anuradha Paudwal

Track : Sai Chalisa

Label : Myuzic Entertainment

Release Year : 18/Jan/2017

Playtime : 27:34 Minute

Category : hindi Music


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Sai Chalisa song download

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FAQs for Sai Chalisa

Who is singer of Sai Chalisa song?

Singer of Sai Chalisa song is Shailendra Bharti, Anuradha Paudwal.

Who is the music director of Sai Chalisa song ?

Sai Chalisa is Tuned by Myuzic Entertainment.

Whats the playtime (duration) of Sai Chalisa song?

Playtime of song Sai Chalisa is 27:34 Minute.

When Sai Chalisa song released?

Sai Chalisa mp3 hindi song has been released on 18/Jan/2017.

Which album is the song Sai Chalisa from?

Sai Chalisa is a hindi song from the album Sri Sai Sankirtanmala.

How can I download Sai Chalisa song ?

You can download Sai Chalisa song via click above download links.


Description :-Sai Chalisa mp3 song download by Shailendra Bharti, Anuradha Paudwal in album Sri Sai Sankirtanmala. The song Sai Chalisa is and the type of this song is hindi


Sai Chalisa Shailendra Bharti, Anuradha Paudwal Lyrics


श्रीगुरु चरन सरोज की, मस्तक धर के धूल
साँई तेरे अर्पण हम करें, श्रद्धा, लगन के फूल
शिरडी नगर के कण-कण में, बाबा तेरा है प्रकाश
शुद्ध चित्त जपते नाम तेरा, पूर्ण करो हर आस

शिरडी नरेश हैं महा संयासी
दीन, सखा, साँई घट-घट वासी
बाबा तुम्ही हो शिव अवतारी
तुम्ही साँई गोविंद चक्रधारी

हो, सिद्ध साँई प्रभु राम तुम्ही हो
दया, सिंधु, घनश्याम तुम्ही हो
सब देवों के संगम तुम हो
निर्मल, निश्छल, उत्तम तुम हो

त्याग, मूर्ती सर्व सुख के दाता
साँई तुम हो भाग्य विधाता
निष्ठा से तेरे धाम जो आते
सब तीर्थों का फल पा जाते

तुम्ही हो बाबा सिद्ध विनायक
जनहितकारी सदा सहायक
तेरी धूनी पे टेक के माथा
बिन माँगे ही सब मिल जाता

श्रद्धा, सबूरी के देने वाले
तुम शिरडी के देव निराले
करुणा से प्रभु देखते तुम हो
मालिक सब के एक तुम हो

क्या इस मन की है अभिलाषा?
क्या है जगत का खेल-तमाशा?
तुम्हें पता सब अंतर्यामी
सकल जगत के तुम हो स्वामी

तेरी कृपा का रस जब बहता
अंतःकरण ना प्यासा रहता
जो जन तुम्हरी शरणों में आते
फल अविनाशी तुमसे पाते

करुणा दृष्टि जहाँ हो जाती
खुशियों की वहाँ बाढ़ है आती
मधुर सुधा-सम तेरी वाणी
सुनकर हार जाए अभिमानी

तुम बन जाते कवच हो जिनका
बाल भी बाँका होए ना उनका
अंग-संग रहियो सदा हमारे
होए प्रयास सार्थक सारे

तुमसे निकटता होए उतनी
रघुवर से हनुमान की जितनी
सर्व व्यापक नाम तुम्हारा
सिद्धी कारक धाम तुम्हारा

ज़रा सा जब तुम हाथ हिलाते
पानी से भी दीये जल जाते
सकल जगत के कर्ता-धरता
नीम की पत्तियों में मधुभर्ता

तुम संग जिन्होने प्रीत बढ़ा ली
वे हैं बड़े ही भाग्यशाली
जो तेरे साँचे प्रेम में रोते
वे कभी चिंताग्रस्त ना होते

घोर विपत्तियाँ जब भी घेरें
रिश्ते-नाते मुँह जब फेरें
हम सदा तेरा आसरा लेते
सब कुछ सौंप तुम्हें हैं देते

सब साँसारिक प्राणी बाबा
सोचते लाभ और हानी बाबा
हमें इस चक्रव्युह से निकालो
हर एक पथ पर आके सँभालो

अचल करो मन पर्वत जैसा
तुम संग हो तो, डर है कैसा?
तेरे अनुग्रह के हम हैं भूखे
सागर ना तेरी दया का सूखे

पग-पंकज-पर झुके तुम्हारे
निकट-निरंतर रहो हमारे
भवनदिया से नौका तारो
सब के बिगड़े काज सँवारो

दुःख, हलाहल, हर पल पीते
मन की शांति से हम रीते
नतमस्क हैं धाम तुम्हारे
संकट करो परास्त हमारे

अस्त-व्यस्त है जीवन सारा
साथ ना दे जब समय की धारा
दे निज प्रेम की शीतल छाया
कुंदन करो हमारी काया

कष्ट, क्लेश से दे दो मुक्ति
सुखदायक हो तेरी भक्ति
जीवन रथ के सारथी बनना
दुर्बल मन में साहस भरना

सच्चे ज्ञान की सुधा पिला दो
साँई हमें निर्दोष बना दो
हर पल रहियो साथ हमारे
ऋणी रहेंगे सदा तुम्हारे
ऋणी रहेंगे सदा तुम्हारे

हे, सिरडी के शहँशाह, साँई जी कष्ट निदान
तेरे ध्यान में जो खोए, उनका रखना घ्यान

दया के सागर हे साँई, दीन, सखा, भगवान
अंजलि बाँधे विनय करे, दीजो हमें संतान
दिव्य तुम्हारे कोष में है, रत्न बड़े अनमोल
अपनी अलौकिक करुणा के, द्वार हे दाता खोल

हे, करुणेश्वर साँई भगवंता
कला तुम्हारी है अमर-अनंता
करते अमावस को तुम पूनम
हम तेरा सुमिरन करते हरदम

जीवन वृक्ष को हे सिद्ध साँई
दो फल मीठे, महा सुख दाई
जिनको देख के तृप्त हो नैना
पीड़ित मनवा पा जाँए चैना

घर-अँगना में ख़ुशियाँ छाए
हो जाँए लुप्त ये दुःख की बलाएँ
फूलों से महके ये फुलवारी
छाए हरियाली मंगलकारी

कहीं तोता, कहीं मैना बोले
मधुरस शीतल पवन में घोले
कुल के दीपक जगे निराले
उड़े निराशा के घन काले

श्रद्धा, सबूरी के महादानी
भाग्य की रेखा होए कल्याणी
दो संतान का वैभव ऐसा
पाया यशोदा कृष्ण का जैसा

माता-पिता जिसे देख हर्षाएँ
बाहों का झूला नित्य झुलाएँ
तेरी कृपा के बिन, हे दाता
ये सपत्ति कोई नहीं पाता

जिस तरह बाबा शिरडी सारी
मनभावन संतान तुम्हारी
तुम्हें है इसका हर जन प्यारा
चाहे चंदा हो या तारा

धनी-निर्धन तेरी आँख के तारे
छोटे-बड़े सब जान से प्यारे
उसी भांती, हे शिरडी वासी
सब भक्तों को दो सुखदाशी

जिन्हें निहार हो पुलकित आँखें
उन्हें पलकों की छाया में राखें
तुम बिन उसको कोई ना जाने
बुरा-भला तू सब पहचानें

आशा, इच्छा और अभिलाषा
बाबा जाने हर मन की भाषा
सपनों की दुनिया तुम ही सजाते
तुम्ही हर घर में रौनक लाते

हे, सिद्धियों के अद्भुत स्वामी
घट-घट वासी अंतर्यामी
बांझन को संतान सुख देना
टोना-कंकर सब हर लेना

जो तेरी चौखट के संग लागे
रहे ना वो जन कभी अभागे
दुःखी रे द्वारे देते हैं अर्जी
क्या, कब देना तेरी है मर्जी

लेकिन उसमें देर ना करना
जीवन में अंधेर ना करना
हर इक आशा पूरण कीजो
बांझित हमको फल दे दीजो

हमको निराशा ने जो घेरा
दूर जो हमसे सुख का सवेरा
उसे हे साँई, नज़दीक ले आना
हर्ष के दिन इस घर में लाना

दिन जैसे अरमान बिना हैं
घर सूने संतान बिना है
बालिका दे या बालक बाबा
तुम मर्जी के मालिक बाबा

तुम सा जग में और ना दाता
तुम्ही हो सब के भाग्यविधाता
तेरी करुणा से कुल ये चलेगा
दीप से उजला दीप जलेगा

हम भी माता-पिता बन जाएँ
मिलकर झूला घर में झुलाएँ
दे दो करुणा के वो मोती
जिनमें खुशियों की हो ज्योती

दिल की धड़कन वो बन जाए
सदा तुम्हारी महिमा गाए
और ना तुमसा परोपकारी
सदा रहेंगे तुम्हारे आभारी

तेरी चौखट से जोड़ के माता
माँगू सुख-संतान का दाता
मनचाहा फल साँई हमें देना
अपनी ही छाया में हमें लेना

इच्छा हर निर्दोष पे मन की
जानते बातें वो जन-जन की
करुणा दृष्टि से सदा ही तकना
सिर पर हाथ दया का रखना
सिर पर हाथ दया का रखना

तेरे भक्तों कै साँई, तुमपे बड़ा विश्वास
हे, शिरडी के संत, करो पूरी हमारी आस

साँई का धूना कल्प वृक्ष
जिसकी अलौकिक शान
निश्चय रख जो वहाँ झुके
उनका होए कल्याण

जिसकी विभूति धर माथे
लोगों का मिटता नाम
अमर, अखंड उस धूनी को
शत्-शत् है प्रणाम

ब्रह्मा, विष्णु और शिव शंकर
यहाँ विराजे साँई बनकर
सत का यहाँ पे पहरा
गणपति जी का प्रेम है गहरा

अजनि सुत हनुमान यहाँ पर
भैरों कला निधान यहाँ पर
आठों सिद्धियाँ खेल रचाती
नौ-निधियाँ भी रंग दिखाती

दैवी तेज निराला इसमें
महाशक्ति की ज्वाला इसमें
ज्ञान-ध्यान की लपटें उठती
जिसमें सब बुराइयाँ जलतीं

इसकी महिमा भक्त हैं गाते
पाप-पाखण्ड भस्म हो जाते
आस्था से यहाँ मस्तक टेको
साँई का लागा जलवा देखो

शंका-संशय मिटते यहाँ पर
जाए हर मानव कुंदन होकर
कामनाओं की सिद्धी होती
धन और धान्य की वृद्धि होती

बदलती हाथों की हैं लकीरें
जागती हैं सोयी तक़दीरें
अंतर्मन का मिटे अंधेरा
अद्भुत सुख का आए सवेरा

औषधीतुल्य है यहाँ विभूति
जैसे हो संजिवनी बूटी
श्रद्धा से जब लगती माथे
कष्ट, क्लेश सभी मिट जाते

रोग, शोक, संताप मिटाए
जनम-जनम के पाप मिटाए
कहते हैं मेरे साँई नारायण
"ये विभूति है दिव्य रसायन"

हर कण जिसका सिद्धी कारक
संकट, मोचन, कष्ट निवारक
मन को सच्ची शांति मिलती
भाग्य की निद्रा यहाँ पर खुलती

ये धूना है पारस जैसा
तीनों लोक में और ना ऐसा
यहीं कंकड़ बनते मोती
मनोकामना पूरण होती

काँटे बनते फूल यहाँ पर
चंदन जैसी धूल यहाँ पर
भक्तों का ये सदा सहायक
विघ्न-विनाशक मुक्ति दायक

सिद्ध साँई की यही है माया
कभी है धूप, कभी है छाया
शिरडी नाथ के खेल निराले
बंद किस्मत के खुलते ताले

साँई के धूना महा सुखदायी
साँई के भक्तों का सहायी
काम करे कामधेनु जैसा
जैसी हो आशा, फल दे वैसा

बल भर देता हर दुर्बल में
सिद्ध मनोरथ करता पल में
धनवंतरी वैद्य यहाँ पर हारे
वहाँ ये धूना काज सँवारे

इसकी इव भूती की एक चुटकी
जब रोगी को साँई ने बक्शी
वो कष्टों से पा गया मुक्ति
शक्तिहीन को मिल गई शक्ति

ख़ुशियाँ देता लाचारों को
सुख दे किस्मत के मारों को
जैसे तुलसी माँ है प्यारी
वैसे विभूति ये गुणकारी

गंगा जल में गुण हैं जितने
इस विभूति में भी हैं उतने
बेबस जब लुकमान हैं होते
असहाय इंसान भी होते

ओ, कंचन काया जब भी तोले
साँई का जादू सिर चढ़ बोले
जहाँ दवाएँ हार हैं जाती
वहाँ दुआएँ काम हैं आती

साँई का धूना और विभूति
दे दुःखियों को जीवन ज्योति
इस धूने का वंदन करना
पूजा और अभिनंदन करना

मनवांछित फल पा जाओगे
जीवन सुखी बना जाओगे
साँई की ये निर्दोष करुणा
इसके तुम अधिकारी बनना
इसके तुम अधिकारी बनना

पावन धूने में चमके साँई का अद्भुत प्यार
जहाँ विभूति है देती बिगड़ काम सँवार

सिद्ध-संयासी-साँई मेरे
सिद्ध करना सब काज
चरण कमल पर हम झुके
सदा ही रखियो लाज

भय-भंजन तेरे नाम से संकट जाते भाग
अनुग्रह तुम्हरा होते ही भाग्य जाएँगे जाग

विघ्न-विनाशक शिरडी के साँई
सब कितरे दर होए सुनवाई
आठों सिद्धियाँ पास तुम्हारे
तेरे कोष में रत्न हैं सारे

हे, भक्तों के मार्गदर्शक
हर पग बनो हमारे रक्षक
हर्ष का सूरज उदय अब करना
सुख-समृद्धि से घर भरना

नष्ट-कष्ट के बंधन कर दो
माटी को छूकर चंदन कर दो
आर्थिक दशा सुधारो साँई
भव-जल से हमें तारो साँई

हरियो हर एक बाधा पथ की
राह सुगम करो जीवन रथ की
व्यवसाय में हर दिन हानी
आस की बगियाँ में भी रानी

दुःख के बादल छाए हैं काले
तुम बिन बाबा कौन संभाले?
जग में बड़े ही फूल खिले हैं
हमको तो केवल काँटे मिले हैं

वक्त की सीधी चाल कर दो
निर्धन को खुशहाल कर दो
हम हैं भटकते अब तक बाबा
रहेंगे ये संकट कब तक बाबा?

चिंता का घुन खा रहा हमको
ऋण का बोझ सता रहा हमको
भय की गठरी हल्की कर दो
धन, वैभव से जीवन भर दो

तुम्ही हो पोषण सबका करते
लाचारों की चिंता हरते
हम भी आश्रित आपके साँई
अब तो समय दिखाओ सुखदायी

संकट ने हमें घेर लिया है
प्रगति ने मुँह फेर लिया है
कष्ट निवारक, हे महायोगी
हमपर दृष्टि कब तेरी होगी?

भाग्य छुपा जो बादल पीछे
हर दिन धंधा जा रहा नीचे
हे, साँई राम हमें संभालो
चिंता नदी से बाहर निकालो

दुर्बल और लाचार हैं मानव
वैद्यता है दुःख का दानव
बोल रही है कंचन काया
बड़ा भयानक वक्त है आया

भक्तों की पतरख में आओ
कवच हमारे तुम बन जाओ
साँई जगत के पालन हारे
छोड़ दी नैया तेरे सहारे

हमें भी सुख की दे दो भीक्षा
कीजो मान-सम्मान की रक्षा
यश, गौरव का सूरज चमके
हाथ पकड़ना راہبر बनके

कभी परिश्रम जाए ना निष्फल
भक्तों के पग चूमे मंज़िल
खोलो नयी विकास की राहें
वो सब पाएँ जो हम चाहें

हे, शिरडी के राजा साँई
तुमसे जो है आस लगाई
उसमें हमें सफलता देना
हर कठिनाई को हर लेना

आँच ना हमपर आने देना
मात कहीं ना खाने देना
मार्गदर्शन करोगे जिनका
बाल बी बाँका होए ना उनका

हर कार्य की सिद्धी देना
अपनी छाया में हमें लेना
सार्थक हों प्रयास हमारे
करो कंकड़ को गगन के तारे

तेरे द्वार पे टेका माथा
हमको ख़ुशियाँ देना दाता
दया की हमपर कर दो छाया
होए ना डाँवा-डोल ये काया

काम-काज में दो संतुष्टि
घर में होए धन की वृष्टि
हर पल ध्यान तुम्हारा धरना
जग का हमें मोहताज ना करना

नाम तेरे निर्दोष की माला
जप के पाएँगे नया उजाला
दिव्य विभूति वाले साँई
रहो हमारे सदा सहायी
रहो हमारे सदा सहायी

बिगड़े काम सँवारियो, हे, शिरडी के नाथ
भय का उनको भय नहीं, तुम हो जिनके साथ


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